अभिलाषा: एक बेटी की
छल कपट से दूर जहां की,
मेरी दुनिया अच्छी है,
झूठ जहां ना बसता है,
दिल की बेहद सच्ची है ।
तेरी समझ से मेरी समझ,
मेरी समझ में तेरी समझ,
समझ में आना मुश्किल है,
हर दिन मेरी नई राह है,
दूर बड़ी ही मंजिल है।
मेरी कोशिश मेरी क्षमता
कोई तो पहचाने,
कितना कुछ में जाने हूं,
क्यों कोई ये ना जाने,
मेरी अपनी बोली है,
मेरी अपनी भाषा है,
समझो मेरे भावों को,
बस इतनी अभिलाषा है।
बस इतनी अभिलाषा है।
By:- Dr.Anshul Saxena
By:- Dr.Anshul Saxena
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