अधर्म


आज की मेरी कविता कोरोना वायरस से फैले संक्रमण के कारण संपूर्ण देश में हुए लॉक डाउन में भी हुई साधुओं की निर्मम हत्या के ऊपर है। यह घटना बहुत ही हृदय विदारक है और मानवता के ऊपर एक प्रश्न चिन्ह है।आख़िर लोग इतने निर्दयी कैसे होते जा रहे हैं?

धरती फिर से लाल हो गई,
पाप अधर्म के वारों से।
फिर मानवता हार गयी,
इन निर्मम हत्यारों से।।

पत्थर मारें लाठी मारें,
कहां मिले अधिकारों से।
बिन सुनवाई करें फैसला
अपने अत्याचारों से।।
Dr. Anshul Saxena


Comments

Arohi said…
Beyond words👏👏👏👏

Popular Posts

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)

गृहणी (Grahani)

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

बेटियाँ (Betiyan)

तानाशाही (Tanashahi)

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

होली है (Holi Hai)

सुकून (Sukoon)

अभिलाषा: एक बेटी की

नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)