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बेटियाँ (Betiyan)

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  बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी गर्भ में ही एक बेटी को मार देते हो। कभी आफताब बन 36 टुकड़ों में काट देते हो। जन्म दे एक जान को हर दर्द सहती हैं। अपनों की खातिर खुद अपनी ही जान देती हैं। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। कभी शादी में बिक जाते हो कभी उन पर रौब जमाते हो। जो सबको पीछे छोड़ बस तुमसे ही जुड़ जाती हैं। तुम उस पर हाथ उठाते हो वो जीते जी मर जाती हैं। किस्मत वालों की ही बेटियाँ होती हैं जिसकी नियत ही खोटि हो उसकी किस्मत कहाँ होती है। अनमोल सा मोती हैं बड़े भाग्य से होती हैं बेटियाँ सबके मुकद्दर में कहाँ होती हैं। Dr.Anshul Saxena  Hindi Kavita- Betiyan

परवाह (Parvah)


आज संपूर्ण विश्व में कोरोना वायरस से फैला संक्रमण चिंता का विषय बना हुआ है। सुरक्षा की दृष्टि से देश भर में किये गये लॉक डाउन से कोई भूख से जूझ रहा है तो कोई अकेलेपन से जूझ रहा है। कोई व्यस्त है तो कोई खालीपन से जूझ रहा है। ऐसे में हम सभी दूर रहते हुए एकजुट रहकर यदि कुछ कर सकते हैं तो वह है परवाह।

तो इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तुत है आज की हिंदी कविता

 परवाह


यह जीवन रैन बसेरा है,
सुख दुख का यहां डेरा है,
मर कर तुम साथ चलो ना भले,
जीते जी साथ निभा देना।।

कहीं परिवारों का मेला है,
कोई अपना दूर अकेला है,
तुम पास भले ना जा पाओ,
पर दूर से साथ निभा देना।।

भावों में कोई बह जाए
तो तुम बाँध बना देना।।
तन से साथ रहो न भले,
पर मन से साथ निभा देना।।

कहीं तड़प है भूखे पेटों की,
कहीं कमी नहीं है नोटों की,
जिससे जितना बन पाये,
उन भूखों तक पहुंचा देना।।

मानवता की खेती का,
इस धरती पर जहाँ सूखा हो,
प्रेम दया के मेघों को,
उस धरती पर बरसा देना।।
Dr. Anshul Saxena

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