आशा-ज्योति (Asha - Jyoti)



देश रहे ना खुला भले,
खुला रहे यह मन का द्वार।
मंदिर ना जा पाओ भले,
मन मंदिर में हो जयकार।।

तूफ़ाँ में अब नौका अपनी,
कौन करेगा बेड़ा पार?
बस कर्म हमारे हाथों में,
उसके हाथों में पतवार।।

मानव धर्म की सेवा में ही,
मानवता का है उद्धार।
मिटे संक्रमण हर हृदय से,
अच्छाई का हो संचार।।

जन-जन की सामूहिक शक्ति,
संकट बेला रही पुकार।
आशा की ज्योति से मिलकर,
जगमग कर दो यह संसार।।
Dr. Anshul Saxena

Comments

Popular Posts

गृहणी (Grahani)

नारी - एक चिंगारी ( Naari Ek Chingari)

बेटियाँ (Betiyan)

सलीक़ा और तरीक़ा (Saleeka aur Tareeka)

तानाशाही (Tanashahi)

होली है (Holi Hai)

सुकून (Sukoon)

हर घर तिरंगा ( Har Ghar Tiranga)

अभिलाषा: एक बेटी की

नव वर्ष शुभकामनाएं (New Year Wishes)